Friday 19 April 2024

 

सोच सदा अच्छी रहे, दया हृदय में पास,

        पाओगे परिणाम तुम, जग बन जाए दास |

   

                     स्वच्छ वस्त्र पहिनो सदा, आसन भी हो स्वच्छ,

             बस सुगन्ध हो पास में, स्वच्छ सदा  हो कक्ष |

Thursday 18 April 2024

 

 कुछ बातें हैं काम की, इनको करिये रोज,

      उसका फल फिर देखिये, आप मनाएं मौज|

 

               नमन प्रथम प्रभु को करें, पंहुचें आफिस आप,

             शुभ दिन हो सबका भला, पड़े अनूठी छाप |

 

Wednesday 17 April 2024

 राम दरस अभिलाषा मन में,राम रहें हरदम चिंतन में,

कैसे कहें कल्पना के हैं, राम समाये सबके मन में |

सत्य यही है, वे शास्वत हैं, रामराज्य लायें जीवन में |

   

    चित्रकूट जा करके देखो, कामदगिरि दे रहा गवाही, कुछदिन शान्त भावसे रहिये, पूर्ण करो इच्छा मन चाही |

   बारह बरस राम के बीते, चित्रकूट की ही रज कण में,

   कैसे कहें कल्पना के है, राम समाये सबके मन में |

 

वह पथ अब भी विद्यमान है, रिस्यमूक पर्वत जा पहंचे,

निश्चरहींन धरा को करने,अपने प्रण में जो नहिं सकुचे |

जहाँ जहाँ वे रुके आज भी,स्थल अंकित आज नयन में |

कैसे कहें कल्पना के हैं, राम समाये सबके मन में |

 

रामेश्वर शिवधाम आज भी,ज्योर्तिलिंग की है वह प्रतिमा,

रावण विजय हेतु ही जिनने, स्थापित की उनकी गरिमा |

रामसेतु की अब भी झांकी, सागर आकर गिरा चरण में,

कैसे कहें कल्पना के हैं, राम समाये सबके मन में |

 

   जो जैसे हैं वही रहेंगे, वे ही देखें खुद दर्पण में,

   कहें कल्पना झूठ न होगी, वे रहते हरदम बंधन में |

  राजनीति के कारण ही तो,अन्तर करनी और कथन में,

   यह उनकी है,वे ही जानें, मेरा चित्त लगा दर्शन में |

सत्य यही है वे शास्वत हैं, राम राज्य लायें जीवन में,

सारा भारत ऊँचे स्वर में, बोल रहा है नन्दनवन में |

राम हमारे रहे, रहेंगे, सदा सर्वदा रहें मनन में ,

कैसे कहें कल्पना के हैं, राम समाये सबके मन में |

 

राम दरस अभिलाषा मन में, राम रहें हरदम चिन्तन में,

कैसे कहें कल्पना के हैं, राम समाये सबके मन में |

Saturday 13 April 2024

 

दो गवाह तैयार तो, झूठे  का सब खेल,

     न्यायालय भी विवश है,सच्चा जाता जेल.

 

           लम्वित होते मुकद्दमे, कारण बनें वकील,

            निर्णय में सहयोग दें, उनसे यही अपील |

     ऐसा यदि होगा यहाँ, होंगे कम अपराध,

     जग सुधरेगा  देखना, पूरी  होगी  साध |

 

           अग्नि परीक्षा बाद भी, सीता को वनवास,

            प्रश्न चिन्ह है न्याय पर, कैसे हो विश्वास |

 

     अब शासन में चाहिये, आना कुछ बदलाव,

    अपराधी को  दण्ड दें, जल्दी  बिना दवाव |

 

                      नर पिशाच ये भेड़िये,घूम रहे स्वच्छन्द,

                      अपराधी भी घूमते, हो  करके निरद्व्न्द.

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                            नारी”

Friday 12 April 2024

 

 न्याय मिले यदि देर से, तो होगा अन्याय,

     वादी, प्रतिवादी  मरे, बन्द  हुआ अध्याय.

 

            स्टे आर्डर मिल गया,तो समझो बस जीत,

             प्रतिवादी  दौड़ा  करे, वादी  गाता  गीत |

 

Thursday 11 April 2024

 

 न्याय त्वरित होगा अगर, होगें कम अपराध,

      जल्दी निस्तारण  करें, न्यायालय  की साध.

 

          न्याय त्वरित यदि मिल सके,तो सचमें हो न्याय,

           न्यायालय की  भूमिका, सही  समझ  में  आय.

 

Wednesday 10 April 2024

 

 सूत्र यही है न्याय का, दण्ड मिले तत्काल,

       अपराधी  सहमें  रहें,  होगें  वे   बेहाल.

 

             ऐसा कुछ  क़ानून  हो, ऐसा  हो  अधिकार,

             न्याय सुलभ अब हो सके, शासन करे विचार.

 

Tuesday 9 April 2024

 

जनता के दुख दर्द को, जिसने समझा आज,

     समाधान यदि  ढूढ़  लें, पहिना उसने  ताज.

 

            विक्रम सम्वत साल का, प्रथम दिवस है आज,

        श्री गणेश  का  नाम ले,  करें सभी शुभ काज |

 

Monday 8 April 2024

 

 कुछ का धन्धा चमकता, कुछ हो जाते फेल,

           अपना अपना भाग्य है, कुछ विधना का खेल |

 

      राजनीति के खेल में, स्वयं करो अनुमान,

      कितना इसमें नफा है, कितना है नुकसान |

Sunday 7 April 2024

 कुछ चुनाव को जीतते,घर घर बाँटें नोट,

      चरण वन्दना तक करें, तब पाते वे वोट |

 

            कुछ का धन्धा चमकता, कुछ हो जाते फेल,

           अपना अपना भाग्य है, कुछ विधना का खेल | 

Saturday 6 April 2024

               सर्दी, गर्मी, छोड़ कर, आगे आयें लोग,

               अच्छे लोगों को चुनें, तो होगा उपयोग |

   

      घर पर  हम बैठें  रहें, रोयें  पाँचों साल,

      पछताना हम को पड़े, तोड़ें हम यह जाल. 

Friday 5 April 2024

 

 घर पर  हम बैठें  रहें, रोयें  पाँचों साल,

      पछताना हम को पड़े, तोड़ें हम यह जाल.

  

               राजनीति अब दे  रही, केवल  यह संदेश,

              समय देख कर आप भी, बदलें अपना वेश |

 

Thursday 4 April 2024

 

 भले लोग यदि घर रहें, तो चुनाव बेकार,

      आगे बढ़ कर हम चलें, समझें करें विचार |

 

             सर्दी, गर्मी, छोड़ कर, आगे आयें लोग,

               अच्छे लोगों को चुनें, तो होगा उपयोग |

   

Wednesday 3 April 2024

 

 ऐसी हो  जन भावना, जाएँ  अच्छे  लोग,

           जन प्रतिनिधि समझें हमें,तो होगा उपयोग |

 

       भले लोग यदि घर रहें, तो चुनाव बेकार,

      आगे बढ़ कर हम चलें, समझें करें विचार |

 

Tuesday 2 April 2024

 

मतदाता जाग्रत अगर, सुद्दढ बने सरकार,

           उदासीन हम  हो गये, होगा  कष्ट अपार |

 

     भृष्टाचारी यदि चुनें, तो बिगड़ेगा काम,

     सालों तक  हम रोंयगे, वे  जोड़ेंगे दाम |

Sunday 31 March 2024

 हो स्वतन्त्र,निष्पक्ष तो, सफल रहे अभियान,

         मत देना  अनिवार्य  है, तभी  रहेगा  मान |

 

     वोट डालने  से  यहाँ, बनती  है  सरकार,

     चुन कर भेझें हम उन्हें,गुणी योग्य दमदार |

 

   

Saturday 30 March 2024

 

 इसीलिये  समझा रहे, रक्खें  बुद्धि, विवेक,

     सोच समझ कर वोट दें, जो चरित्र से नेक |

 

         हो स्वतन्त्र,निष्पक्ष तो, सफल रहे अभियान,

         मत देना  अनिवार्य  है, तभी  रहेगा  मान |

 

Friday 29 March 2024

 

 कोई भाषी  हम  रहें, ऐक  समूचा देश,

      बिना प्रलोभन से करें,लोभ नहीं लवलेश.

 

         हम भारत के नागरिक, लोकतन्त्र पहिचान,

          आस्था रक्खें हम सभी, अपना बना विधान |

Thursday 28 March 2024

 

कितनी भी कठनाई  हो, मिले नहीं आराम,

      चुनना प्रतिनिधि है हमें, लें धीरज से काम |

 

         

                        बार बार समझा रहे, यह पुनीत  का  काम,

             हम विवेक से काम लें, होगा जग में नाम.

Tuesday 26 March 2024

 

होली

लिये सस्नेह हाथों में,

लगाओ प्रेम का टीका,

जला कर बैर होली में,

बढाओ प्रीति पावन तुम |

बढ़ें नजदीकियाँ हम में,

रहे उत्साह सबके मन,

फिलें चेहरे, प्रफुल्लित मन,

भुलादें भेद सारे हम |

नहीं शिकवे शिकायत हों,

गले मिल जाँय हम सबसे,

विनय है ईश से मेरी,

हमें सद बुद्धि ऐसी दे |

गले मिल जाँय हम सबसे,

 नहीं हो कोई मन में भय,

नहीं शिकवे शिकायत हो,

   मने त्यौहार मंगलमय |

रहे अब भाई चारा ही,

 मनायें आज पावन पर्व,

   सदा हों आप हर्षित मन,

    सफल हो आप से परिचय |

                                  पावनपर्व पर शुभ कामनाएं    डा. हरिमोहन गुप्त 

Sunday 24 March 2024

 निर्वाचन में हम करें, शान्ति पूर्ण मतदान,

       गरिमा अक्षणु देश की, परम्परा को मान |

    

                   करना है  मतदान को, छोड़  जरूरी काम.

            यह भी आवश्यक बहुत, लोकतन्त्र के नाम |

  

Saturday 23 March 2024

 

 जनता ही चुनती यहाँ, जनता की सरकार,

    जनता जिम्मेदार  है, चुनना  है अधिकार  

 

            धर्म,जाति को छोड़ कर,हो कर हम निर्भीक,

             वर्गवाद, भाषा  नहीं,  छोड़े   सारी  लीक |

 

Friday 22 March 2024

 

  है चुनाव आयोग की, सबसे यही अपील,

    वोट यहाँ बहुमूल्य है, कोई  नहीं दलील |

 

             भारत में इस वोट से, बनती है सरकार,

             सोचें समझें हम सभी, तो  होगा उद्धार |

Thursday 21 March 2024

        “मतदान”

     मतदाता यह जान लें, आवश्यक मतदान,

     प्रजातन्त्र रक्षित  रहे, बने  यही पहिचान.

 

           जाग्रत करना सभी को, तब होगा कल्याण,

            निर्णय लेना है  यही, रखना  उसका मान |

  

Wednesday 20 March 2024

 

 सास बहू में हो रही, अब तो नित तकरार,

       पुत्र तुम्हारा है कहाँ,  पति  अब  दावेदार l

 

                दोनों में कोई नहीं, झुकने को तैयार,

                पिता,पुत्र भी मौन हैं, देख रहे हैं रार l

  

Tuesday 19 March 2024

 

बंटबारा ऐसा किया, हुई परिस्थिति दास,

             माता रक्खें आप ही, पिता  हमारे पास l

 

     पास पड़ोसी कह रहे, देख  हमारे ढंग,

       देखो इनके भी हुये, चेहरे अब भदरंग l

Monday 18 March 2024

तार तार ही हो रहे, अब सितार के तार,

             ऐसे घर  भी कलह से, हो  जाता बेजार l

 

     मात, पिता को बाँटते, कैसे  हो निर्वाह,

     कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह lतार तार ही हो रहे, अब सितार के तार,

             ऐसे घर  भी कलह से, हो  जाता बेजार l

 

     मात, पिता को बाँटते, कैसे  हो निर्वाह,

     कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह 

             lतार तार ही हो रहे, अब सितार के तार,

             ऐसे घर  भी कलह से, हो  जाता बेजार l

 

     मात, पिता को बाँटते, कैसे  हो निर्वाह,

     कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह 

             lतार तार ही हो रहे, अब सितार के तार,

             ऐसे घर  भी कलह से, हो  जाता बेजार l

 

     मात, पिता को बाँटते, कैसे  हो निर्वाह,

     कैसे हम रह पायंगे, कहाँ गई वह चाह l